आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapur) ने अपने परिवार के फिल्मी इतिहास के बारे में बात की और बताया कि कैसे वे एक जेनरेशन स्कीप करके दोबारा इंडस्ट्री में कमबैक हुए

[Skipping A Generation] 'एक जेनरेशन स्कीप करने के बाद हमने इंडस्ट्री में वापसी की': Aditya Roy Kapur

आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapur) एक फिल्म प्रोड्यूसर परिवार से आते हैं, भले ही उनके माता-पिता ने इंडस्ट्री में काम नहीं किया है। आदित्य के बड़े भाई कुणाल रॉय कपूर एक ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में आने से पहले थिएटर में शुरुआत की थी। सिद्धार्थ रॉय कपूर (Siddharth Roy Kapur), उनके सबसे बड़े भाई, एक फिल्म प्रोड्यूसर हैं और उन्होंने एक्ट्रेस विद्या बालन (Vidya Balan) से शादी की है।

उन्होंने हाल ही में चर्चा की कि कैसे, एक जेनरेशन स्कीप करके दोबारा इंडस्ट्री में कमबैक किया। उनके पिता, कुमुद रॉय कपूर, एक सेना अधिकारी थे, और आदित्य के दादा, रघुपत रॉय कपूर, 1940 के दशक में एक फिल्म प्रोड्यूसर थे। आदित्य की मां सैलोम रॉय कपूर एक पूर्व मॉडल, डांसर और डांस टीचर थीं।

मैशेबल इंडिया से बात करते हुए आदित्य ने खुलासा किया, “मेरे दादाजी बहुत पहले इंडस्ट्री में आए, उन्होंने चार फिल्में बनाईं। किन्हीं कारणों से वे फिल्में नहीं चलीं। इसके बाद उन्होंने प्रोडक्शन बंद कर दिया। बड़े होकर, मेरे भाई और मेरी माँ, सभी थिएटर और डांस और बाकी सब में थे और किसी तरह हमने एक पीढ़ी को छोड़ कर खुद को इंडस्ट्री में वापस पाया। इसलिए बड़े होने की फिल्म का घर में कभी प्रभाव नहीं रहा क्योंकि हमारा इंडस्ट्री से कोई रिलेशन नहीं था। मेरे पैदा होने से पहले ही मेरे दादाजी का देहांत हो गया था और वह पिछले कुछ वर्षों से इंडस्ट्री में एक्टिव नहीं थे। मैंने और मेरे भाइयों ने 2008-09 में खुद को इंडस्ट्री में वापस पाया। और हम सभी अलग-अलग क्षेत्रों से आए- सिद्धार्थ स्टार से आए, कुणाल थिएटर और टेलीविजन से आए, और मैं वीजे बनकर आया हूं।”

अपनी आखिरी फिल्म ‘राष्ट्र कवच ओम’ में आदित्य ने एक सुपर कमांडो की रोल निभाई है। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे उनके पिता की सेना की बैकग्राउंड ने उन्हें भूमिका के लिए तैयार करने में मदद की। उन्होंने खुलासा किया, “मैं इसके बारे में अपने पिता की कहानियों को सुनकर बड़ा हुआ हूं। वहां सब कुछ शानदार था, इसलिए मुझे वह एक्स्ट्रा तैयारी करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि मैं सेना से उनकी सभी मजेदार कहानियों को सुनकर बड़ा हुआ हूं। मैंने उनसे कुछ चीजें, बुनियादी तकनीकी और लड़ाकू सामान और उनकी मेंटल स्टेट के बारे में पूछा।”

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अंकित तिवारी

कलम और किताबों के शौख ने मुझे इस क्षेत्र में खींच लाया। ख़बर के प्रति उत्सुकता और लिखाई की मोहब्बत ने मुझे पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया। हिन्दी मेरे लिए न केवल एक भाषा है, बल्कि एक हथियार भी है जो मुझे अपने जीवन के संघर्षों से लड़ने और सफलता और उपलब्धि के पथ पर आगे बढ़ने में मदद करती है।

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