Prithviraj Sukumaran's apology: जानिए आखिर क्यों पृथ्वीराज सुकुमारन ने मांगी सबसे माफी।

पृथ्वीराज सुकुमारन ने 'इनसेंसेटिव' कडुवा सीन के लिए सबसे महंगी माफी

Prithviraj Sukumaran’s apology: पृथ्वीराज सुकुमारन [Prithviraj Sukumaran] साउथ के सबसे हैंडसम और पॉपुलर एक्टर्स में से एक हैं। साउथ में एक्टर का काफी अच्छा फैन बेस है। फिलहाल एक्टर के सभी फैंस के लिए हमारे पास एक बड़ा अपडेट है।

एनडीटीवी मूवीज की लेटेस्ट रिपोर्ट के हिसाब से, पृथ्वीराज सुकुमारन की न्यू फिल्म ‘कडुवा’ को विकलांग बच्चों के प्रति स्पष्ट रूप से इनसेंसेटिव होने के लिए बहुत ज़्यादा नफरत और गुस्से का सामना करना पड़ा । खैर, लंबे समय से फैंस इंतजार कर रहे थे कि एक्टर बाहर आकर अपने बचाओ में कब कुछ कहेंगे। हालांकि, आखिरकार उन्होंने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी है। मीडिया में आई न्यूज से के हिसाब से ऐक्टर ने कहा कि,

” मुझे माफ़ करना। वो मेरी एक गलती थी। हम इसे स्वीकार करते हैं। शाजी कैलास ने मलयालम में अपने फेसबुक हैंडल पर एक माफीनामा पोस्ट किया, “विकलांग बच्चों के माता-पिता के लिए आहत करने वाले संदर्भ के प्रति हम माफी मांगना चाहते हैं।

उन्होंने आगे कहा,

“सच्चाई यह है कि इस तरह के डायलॉग लिखते समय न तो स्क्रिप्ट राइटर जिनु, न ही एक्टर पृथ्वीराज ने दृश्य तैयार करते समय, न ही मैंने इसके अन्य पहलुओं के बारे में सोचा। इसके पीछे की एक ही मंशा थी कि उसे और दर्शकों को खलनायक की हरकतों की क्रूरता के लिए राजी किया जाए। सदियों से हम यह शब्द सुनते आ रहे हैं कि हम जो करेंगे उसका परिणाम हमारी आने वाली पीढ़ियों को भुगतना होगा। जब भी लोग अपने बच्चों के कार्यों के परिणामों के बारे में बात करते हैं, लोग उसे दोहराते हैं। इस फिल्म में पृथ्वीराज के किरदार से जो शब्द निकले वो भी इंसान थे। एक पूरी तरह से सामान्य व्यक्ति, गलतियों या उनके इमोशन इफैक्ट से बेखबर, उन्हें इमोशन और फीलिंग के एक मोमेंट फिट में बोले गए शब्दों के रूप में देखना चाहता है। इसका मतलब यह नहीं है कि विकलांग बच्चे अपने माता-पिता के कार्यों के परिणामस्वरूप पीड़ित होते हैं। हमारे दूर-दूर के विचारों में भी ऐसा कभी नहीं होता।”

आगे उन्होंने यह कहा की,”मैं भी एक पिता हूं जो अपने बच्चों से प्यार करता है। उनके थोड़ा सा गिरने पर भी मुझे बहुत दर्द होता है। तब मैं किसी और को बताए बिना विकलांग बच्चों के माता-पिता की मानसिक स्थिति को समझ सकता हूं। माता-पिता के नोट्स से पता चला कि फिल्म के शब्द बेहद कठोर थे। कृपया समझें कि दुनिया में सबसे कीमती चीज आपके बच्चे हैं और आप उनके लिए जीते हैं…। मुझे माफ कर दें….एक बार फिर, मैं यह जानकर माफी चाहता हूं कि ये शब्द आपके इमोशनल टर्मोइल को खत्म नहीं करेंगे ।”

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आकांक्षा पांडे

आकांक्षा पांडे एक पेशेवर और अनुभवी लेखिका हैं। जो शब्दों की गहराई में डूब कर लिखना पसंद करती हैं। ख़बरों को सादगी से परोसने वाली लेखिका, जो ख़ाली समय में किताबों में भी खो जाती है।

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